tag:blogger.com,1999:blog-3695385750362885175.post5596333062927122667..comments2023-10-31T16:40:30.681+05:30Comments on मौन में बात...: पं. सत्यदेव दुबे जी....मानवhttp://www.blogger.com/profile/11993743283195892659noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3695385750362885175.post-83992124842758261232009-06-03T18:08:44.152+05:302009-06-03T18:08:44.152+05:30यह संस्मरण पं.सत्यदेव दुबे जैसे महत्वपूर्ण नाट्य न...यह संस्मरण पं.सत्यदेव दुबे जैसे महत्वपूर्ण नाट्य निर्देशक को समझने के लिए एक झरोखा उपलब्ध कराता है .प्रियंकरhttp://anahadnaad.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3695385750362885175.post-47143409769300143802008-05-18T12:57:00.000+05:302008-05-18T12:57:00.000+05:30सत्यदेव दुबे को मंच पर देखे बहुत दिन हो गए अलबत्ता...सत्यदेव दुबे को मंच पर देखे बहुत दिन हो गए अलबत्ता पिछले दो साल से बेनेगल के भारत एक खोज को कई बार देखने की कारोबारी ज़िम्मेदारी के तहत उन्हें चाणक्य और चंद्रगुप्त में चाणक्य की भूमिका में देखा और बार-बार देखा. दुबे जी थियेटर के उस दौर को रेप्रेज़ेंट करते हैं जब थियेटर वालों के अपने कनविक्शन हुआ करते थे.अब सही या ग़लत जो भी हों, उन्होंने जो ठीक समझा वही किया और अब भी कर रहे हैं. <BR/>"-- साफ बोलो।<BR/>-- वाक्य के अंत तक जाओ।<BR/>-- हर वाक्य के बाद सांस लो।""<BR/><BR/>देखने में भले ये महज़ तीन वाक्य लगें लेकिन कभी सोचिये तो "इतने भर का भी" आज कितना अभाव है.<BR/><BR/>आपने नानी कहकर एक हद तक अपनी राय भी ज़ाहिर की है जो एक अच्छी शुरुआत है.आगे भी अग्रजों और साथियों पर ऐसी टिप्पणियाँ लिखें तो अच्छा रहे.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.com