मौन में बात...

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Thursday, October 19, 2017

happy diwali.. 19-10-17

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आज दिवाली है। मैंने लगभग हर दिवाली पर अपने लिखने का सिलसिला बनाए रखा है। पहले दिवाली पर अकेले रहना अपनी इच्छा से नहीं था... मैं चाहता था...
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Tuesday, February 7, 2017

चलता फिरता प्रेत... (वेताल.. विलाप)

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A man will be imprisoned in a room with a door that’s unlocked and opens inwards; as long as it does not occur to him to pull rather tha...
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Monday, November 23, 2015

वह क्षण....

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कल शाम ज़ोरों की भूख लगी। मैंने फ्रिज से अंड़े, कुछ बचा हुआ चावल निकाला, एक प्याज़ हरी मिर्च काटी और egg fried rice सा कुछ बनाने लगा। Thailand...
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बहुत दिनों बाद....

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कुछ तीन बार यह लाईन लिखकर मिटा दी कि बहुत दिनों बाद लिखने बैठा हूँ। अभी लिखने में लग रहा है कि बस कुछ दिनों पहले की ही बात थी कि मैं लगातार ...
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Wednesday, September 24, 2014

’पीले स्कूटर वाला आदमी’

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मैंने कहीं पढ़ा था- ’वेस्ट में अकेलापन एक स्थिति है, पर हमारे देश में, हम लोगों को हमारा अकेलापन चुनना पड़ता है, और इस बात के लिए हमें कोई माफ...
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Monday, January 13, 2014

साथी.....

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एक मधुर स्वर वाली चिड़िया बाल्कनी में आई...। वह बहुत शर्मीली है... उसे देखने के लिए सिर घुमाता हूँ तो वह दूसरी बाल्कनी में चली जाती है...। म...
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Friday, August 30, 2013

नाम “गुड्डू” निकला... (पिछली पोस्ट से जुड़ा हुआ....)

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आह!!! उस चाय वाले का मेरे पूरे शरीर ने उसका नाम सुनते ही ‘नहीं ई ई...’ चीख़ा। इसलिए शायद लेखक जिसके बारे में भी लिखना चाहते हैं... उसका ना...
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परिचय

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मानव
मेरा कोई स्वार्थ नहीं, न किसी से बैर, न मित्रता। प्रत्येक 'तुम्हारे' के लिए, हर 'उसकी' सेवा करता। मैं हूँ जैसे- चौराहे के किनारे पेड़ के तने से उदासीन वैज्ञानिक सा लेटर-बाक्स लटका। -विपिन कुमार अग्रवाल
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