Saturday, December 12, 2009

मेरे ना पढ़ने के लिए....


मेरे नाटक पढ़ने के लिए......http://manavplays.blogspot.com/

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मानव

मानव

परिचय

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मेरा कोई स्वार्थ नहीं, न किसी से बैर, न मित्रता। प्रत्येक 'तुम्हारे' के लिए, हर 'उसकी' सेवा करता। मैं हूँ जैसे- चौराहे के किनारे पेड़ के तने से उदासीन वैज्ञानिक सा लेटर-बाक्स लटका। -विपिन कुमार अग्रवाल